स्वस्थ जीवन का आधार प्राकृतिक खेती

Jan vichar pravah
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2750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 6875 किसान करेंगे प्राकृतिक खेती

प्राकृतिक खेती का रोल मॉडल बनेंगी कृषि सखियां

कृषि सखियां क्लस्टर में चयनित किसानों को सिखाएंगे प्राकृतिक खेती करने के तरीके
 
जौनपुर । कृषि विभाग द्वारा राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना अंतर्गत जनपद की चयनित कृषि सखियों (सीआरपी) का पांच दिवसीय (दिनांक 5 मई से 9 मई 2025 तक) प्राकृतिक खेती तकनीक विषयक प्रशिक्षण का आयोजन सोमवार को कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा में शुभारंभ हुआ। 
          अध्यक्षता करते हुए उप कृषि निदेशक हिमांशु पांडेय ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त कृषि सखिया/ सीआरपी द्वारा जिले के किसानों को प्राकृतिक विधि से खेती करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए 10 ब्लाको में 55 क्लस्टर बनाए गए हैं, प्रत्येक क्लस्टर 50 हेक्टेयर क्षेत्रफल का है, हर क्लस्टर में कम से कम 125 किसान शामिल किए गए हैं। प्राकृतिक खेती वर्ष 2025-26 से गोमती नदी के किनारे वाले 55 ग्राम पंचायत में 2750 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 6875 किसान प्राकृतिक खेती से कम लागत में गुणवत्ता युक्त अधिक उत्पादन कर अपनी आय बढ़ा सकेंगे। 
         कार्यक्रम में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. सुरेश कुमार कनौजिया ने प्राकृतिक खेती की अवधारणा एवं सिद्धांत के बारे में विस्तार से जानकारी दी, उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती से खेत की मिट्टी बीमार नहीं होती रसायन मुक्त उपज स्वास्थ्य, गुणवत्ता युक्त होते हैं तथा पर्यावरण भी शुद्ध रहता है। स्वस्थ जीवन का आधार प्राकृतिक खेती है। 
            कृषि वैज्ञानिक डा. हरिओम वर्मा द्वारा प्राकृतिक खेती के विभिन्न घटकों जैसे वीजामृत, जीवामृत, घन जीवामृत आदि बनाने का तरीका और उनके प्रयोग के बारे में विस्तार से जानकारी देने के साथ ही इसका प्रायोगिक प्रदर्शन भी कराया गया।
           फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. रूपेश सिंह द्वारा फसल अच्छादन की विधियों एवं कीटो, रोगों आदि से बचाने के लिए निमास्त्र, अग्नेयास्त्र, मठरास्त्र आदि के बारे में विस्तार से बताने के साथ ही प्रायोगिक प्रदर्शन भी कराया गया। 
           कृषि वैज्ञानिक डा. सुरेंद्र प्रताप ने बताया कि प्रशिक्षित कृषि सखियां अपने-अपने कार्य क्षेत्र में क्लस्टर के चयनित कृषकों को प्रशिक्षण देने के साथ ही अपने खेतों पर प्राकृतिक खेती मॉडल स्थापित करके अपने क्षेत्र हेतु रोल मॉडल भी बनेंगी। योजना के अंतर्गत एफपीओ/ स्वयं सहायता समूह/ प्रगतिशील कृषक जैव इनपुट संसाधन केंद्र (वीआरसी) स्थापित करेंगे, जैव इनपुट संसाधन केंद्र से प्राकृतिक खेती के उत्पादों का क्रय विक्रय होगा एवं वीआरसी स्टार्टअप की भूमिका में कार्य करेंगे। 
         कार्यक्रम का संचालन उप परियोजना निदेशक आत्मा डा. रमेश चन्द्र यादव ने किया। 
          इस मौके पर एसएमएस डा. तेजबल सिंह, पल्लवी विष्वकर्मा, अमित सिंह, सुनील वर्मा, अमित मिश्र, अशोक कुमार आदि सहित चयनित कृषि सखियां मौजूद रहे।

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