एम्स गोरखपुर में फर्स्ट नेशनल कांफ्रेंस ऑन प्रिसीजन मेडिसिन एंड मोलेक्युलर मेडिसिन पर व्याख्यान
जौनपुर। एम्स गोरखपुर में आयोजित फर्स्ट नेशनल कांफ्रेंस ऑन प्रिसीजन मेडिसिन एंड मॉलेक्युलर मेडिसिन में शनिवार को आमंत्रित व्याख्यान के दौरान वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर प्रदीप कुमार ने कहा कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में हर 11 में से 1 मौत का कारण शराब होता है। उन्होंने कहा कि शराब उपयोग विकार (अल्कोहल यूज डिसऑर्डर यानी एयूडी) के विकास में आनुवंशिकता और पर्यावरणीय कारक दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आनुवंशिकी और एयूडि पर चर्चा करते हुए प्रो. कुमार ने बताया कि एयूडि के लिए 40-60% जोखिम वंशानुगत होता है। सेरोटोनिन ट्रांसपोर्टर और डीएसटी 1 (डोपामाइन ट्रांसपोर्टर) जीन विशेष रूप से अध्ययन किए गए हैं, जो मूड, इनाम प्रणाली और आवेग नियंत्रण से जुड़े होते हैं। इन जीनों में भिन्नता व्यक्ति की शराब के प्रति संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकती है।
पर्यावरणीय कारकों की भूमिका पर उन्होंने कहा कि हालाँकि, आनुवंशिकी अकेला निर्धारक नहीं है। तनाव, पारिवारिक समर्थन, सामाजिक मानदंड, और शराब के शुरुआती संपर्क जैसे कारक भी एयूडी के विकास में योगदान देते हैं। मानसिक स्वास्थ्य, मुकाबला करने की रणनीतियाँ और शराब के चयापचय को प्रभावित करने वाली आनुवंशिक विविधता भी इस प्रक्रिया में भूमिका निभाती हैं।
प्रो. कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि एयूडी से बचाव के लिए एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें नैदानिक हस्तक्षेप, मानसिक स्वास्थ्य समर्थन और सामाजिक जागरूकता शामिल हो। उन्होंने कहा कि आनुवंशिकी हमें इस विकार की प्रवृत्ति समझने में मदद कर सकती है, लेकिन जीवनशैली और सामाजिक कारक इसके नियंत्रण में अहम भूमिका निभाते हैं।